मनोरंजक कथाएँ >> सच्ची मेहनत सच्ची मेहनतदिनेश चमोला
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सच्ची मेहनत पर आधारित 7 बाल कहानियों का रोचक वर्णन।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
सच्ची मेहनत
नेमिसारण राज्य में शूरसेन नाम का राजा राज्य करते थे। वह
प्रतापी
और यशस्वी राजा थे। वह बहुत ही दयालु एवं परोपकारी थे। उनके पास बहुत अधिक
धन संपत्ति थी। किन्तु उनकी कोई सन्तान न थी। वह अपनी विशाल धन संपदा को
अपनी प्रजा में बांट देना चाहते थे। साथ ही उनकी इच्छा थी
कि वह अपनी प्रजा में से योग्य शासक चुन अपने जीते-जी नेमिसारण राज्य का उत्तराधिकारी भी नियुक्त कर दें। अतः उन्होंने पूरे साम्राज्य में ही नहीं, आस, पास के राज्यों में भी यह मुनवादी करवाई।
‘‘जो कोई भी व्यक्ति ईमानदारी, सच्चाई व सद्गुणों में अपनी उत्कृष्टता का प्रमाण देगा, वह राज्य की विशाल सम्पदा तथा शासन की सत्ता का स्वामी होगा । व्यक्ति किसी भी धर्म, जाति सम्प्रदाय अथवा वर्ग का क्यों न हो, अपनी निष्ठा से उसे अपनी वास्तविकता का परिचय देना होगा। परन्तु प्रदेश व राष्ट्र के प्रति उसकी गहरी व सच्ची श्रद्धा-आस्था होनी चाहिए....समाज के कल्याण की ऊँची भावना निहित होनी चाहिए ।’’
बस क्या था। फिर तो नेमिसारण राज्य तीर्थ-सा ही बन गया । हर दिन वहां धन सत्ता के लालची व्यक्तियों का जमघट लगा रहता । महाराज शूरसेन सभी से साक्षात्कार करते। किन्तु अन्ततः सभी को असफल पा निराश हो उठते।
कि वह अपनी प्रजा में से योग्य शासक चुन अपने जीते-जी नेमिसारण राज्य का उत्तराधिकारी भी नियुक्त कर दें। अतः उन्होंने पूरे साम्राज्य में ही नहीं, आस, पास के राज्यों में भी यह मुनवादी करवाई।
‘‘जो कोई भी व्यक्ति ईमानदारी, सच्चाई व सद्गुणों में अपनी उत्कृष्टता का प्रमाण देगा, वह राज्य की विशाल सम्पदा तथा शासन की सत्ता का स्वामी होगा । व्यक्ति किसी भी धर्म, जाति सम्प्रदाय अथवा वर्ग का क्यों न हो, अपनी निष्ठा से उसे अपनी वास्तविकता का परिचय देना होगा। परन्तु प्रदेश व राष्ट्र के प्रति उसकी गहरी व सच्ची श्रद्धा-आस्था होनी चाहिए....समाज के कल्याण की ऊँची भावना निहित होनी चाहिए ।’’
बस क्या था। फिर तो नेमिसारण राज्य तीर्थ-सा ही बन गया । हर दिन वहां धन सत्ता के लालची व्यक्तियों का जमघट लगा रहता । महाराज शूरसेन सभी से साक्षात्कार करते। किन्तु अन्ततः सभी को असफल पा निराश हो उठते।
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